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"समय संस्कृत कहानियों का" - वेताल-पञ्चविंशति (हिन्दी विवरण)

 विक्रम-बेताल कथा पढें, संस्कृत कौशल बढ़ाएँ

"Sanskrit Storytime" - Vetala-Panchavimshati (Hindi Explanation)

“वेताल-पंचविंशति”, २५ कथाओं का संग्रह है, जिसका प्राचीन संदर्भ गुणाढ्य रचित कथा साहित्य ‘बृहत्कथा’ में मिलता है | श्लोकरूप में लिखी गयी ये कथाएँ, प्राचीन भारतीय संस्कृति, परंपराओं, नैतिक पाठों और मूल्यों में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। इस कोर्स में डॉ. लीना दोशी, चुनी हुईं गद्यरूपी आठ कहानियों के लिए हिंदी में शब्द-दर-शब्द इंटरैक्टिव चर्चाएँ करेंगी, जिसमें अर्थ और प्रारंभिक व्याकरण पर जोर दिया जाएगा।
Vetala-Panchavimshati is a collection of 25 short stories whose earliest reference can be found in the narrative literature 'Bruhat-Katha', composed by Gunadhya. Written in shloka form, these stories provide profound insights into ancient Indian culture, traditions, ethical lessons and values. In this course, Dr. Leena Doshi will conduct interactive discussions in Hindi for selected eight stories which are in prose form word-by-word, emphasizing the meaning and preliminary grammar.

Type
Subject
Level
Language
No of Enrollment
Duration
No of Lectures

Schedule of Classes

About the Course

What will you gain from this course? (Key Benefits / Learning Outcomes)

  • संस्कृत कथा साहित्य के माध्यम से प्राचीन भारतीय संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों की गहरी समझ प्राप्त करें
  • संस्कृत वाक्यों की रचना को समझें, संस्कृत भाषा और सर्वांगीण भाषा कौशल की समझ को बढ़ाएँ
  • विभिन्न व्याकरण-विषयक प्रयोगों को समझें
  • आलोचनात्मक सोच और विश्लेषणात्मक कौशल बढ़ाएँ
  • Gain deep insights into ancient Indian culture, traditions, and values through Sanskrit story literature
  • Understand the construction of Sanskrit sentences, and enhance comprehension of Sanskrit language and overall language skills
  • Understand different grammatical usages
  • Stimulate critical thinking and analytical skills

What are the materials/support you get? 

  • प्रत्यक्ष प्रसारित संवादमूलक कक्षाएँप्रश्नोत्तर के अवसर एवं शिक्षिका द्वारा ईमेल से शङ्का समाधान 
  • कोई कक्षा छूट जाने की स्थिति में अथवा पुनः श्रवण हेतु दृश्य-श्रव्य रिकॉर्डिंग की उपलब्धता 
  • कक्षा प्रस्तुतियाँ PDF के रूप में 
  • Live, interactive learning sessions with opportunities to raise your doubts and get them clarified directly from the teacher through email
  • Anytime access to recordings of both Video and Audio for repeated listening or catching up with missed portions
  • Presentations used for the classes in PDF format

What are the prerequisites to get the best out of this course? (Eligibility)

  • बोलचाल की हिन्दी भाषा का सामान्य ज्ञान 
  • संस्कृत भाषा और व्याकरण की अच्छी जानकारी, जो संसकृत भारती - परिचया / SSS तृतीया/ चित्तूर - अभिज्ञा / समकक्ष स्तर की हो।
  • Ability to understand basic spoken Hindi
  • Good knowledge of basic Sanskrit language and grammar, at the level of Samskrita Bharati – Parichaya / SSS Tritiya / Chittoor - Abhijna / equivalent
Visual Design

About the Teacher

Know More about the Course

सातवाहन काल में, द्वितीय शताब्दी में गुणाढ्य द्वारा रचित 'बृहत्कथा' श्लोक (पद्य) रूप में लिखी गई कहानियों का संग्रह था। दुर्भाग्यवश, समय के साथ ये कहानियाँ खो चुकी हैं। बाद में, 9वीं शताब्दी में नेपाल स्थित बुद्धस्वामी ने ‘बृहत्कथाश्लोकसंग्रह’ के नाम से इन कथाओं को संग्रहित किया। 11वीं शताब्दी में सोमदेव ने इन कहानियों को 'कथा-सरित्सागर' में संकलित किया, जो प्राचीन भारतीय कथा साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान है। 'कथा-सरित्सागर' की शशाङ्कवती नामक लंबक में 8 से 32 तरंगों में वेताल-पंचविंशति-कथा उल्लिखित है। कश्मीर के क्षेमेन्द्र (11वीं शताब्दी) का भी संस्करण उपलब्ध है। हाल ही में, 1949 में, दिल्ली के प्रोफेसर सुरेन्द्रनाथ शास्त्री और एच. वी. कोचर द्वारा मूल कहानियों में से आठ रोचक और महत्वपूर्ण कहानियों को विद्यार्थियों के लिए गद्य रूप में पुनः लिखा गया।
During the Satavahana period in the 2nd century, Gunadhya composed the 'Bruhat-Katha', a collection of stories written in verse form. Unfortunately, these stories have been lost over time. Later, in the 9th century, Buddhist monk Buddhasvamin, based in Nepal, compiled these stories under the name 'Bruhatkathashlokasangraha.' In the 11th century, Somadeva collected these stories in the 'Kathasaritsagara,' which is a significant contribution to ancient Indian narrative literature. In 'Kathasaritsagara,' the Vetala-Panchavimshati stories are included in the Shashankavati Lambaka (chapter), specifically in Taranga (sub-chapters) 8 to 32. An edition by Kshmendra from Kashmir (11th century) is also available. Recently, in 1949, Professor Surendranath Shastri and H.V. Kochar from Delhi rewrote eight interesting and important stories from the original collection in prose form for students.
सुरेन्द्रनाथ शास्त्री और एच. वी. कोचर द्वारा पुनर्लिखित मूल कहानियों में से आठ रोचक और महत्त्वपूर्ण कहानियाँ | 
Eight interesting and important stories from the original stories, rewritten by Surendranatha Shastri and H. V. Kochar.  
Publication details  -  Bharati Prakashan Mandira, Delhi, 2nd edition 1949.

हाँ। कार्यक्रम के अन्त में कम्प्युटर पर आधारित (MCQs) टेस्ट होगा और उसमें 60% या उससे अधिक अंक प्राप्त करने पर आपको व्योम लैब की ओर से ई-प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। 

Yes. There will be an Assessment conducted at the end of the course, and you will get an e-certificate from Vyoma Labs if you clear the assessment with 60% or more marks.

1. सूची में ऊपर जाएँऔर 'निःशुल्क नामांकित हों' ('Enrol for Free')  बटन पर क्लिक करें ।
2. यदि अभी आपने प्रवेश नहीं लिया है तो आप प्रवेश ले सकते हैं। यदि आप नए उपयोक्ता हैं तो आप 2 मिनट से कम समय में अपना अकाउंट निःशुल्क खोल सकते हैं।
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