भारतीय ज्योतिष एवं कालगणना : सिद्धांत से व्यवहार तक
भारतीय ज्योतिष विज्ञान ज्योतिष शास्त्र या खगोलीय विज्ञान के सिद्धांतों में एक प्रारंभिक पाठ्यक्रम है। ज्योतिष शास्त्र, ग्रहों की गति से निकटता से जुड़ा हुआ है । यह भारतीय जीवन शैली, दर्शन और संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वेदांगों (वेदों के अंगों) में से एक, ज्योतिष शास्त्र, मानव जीवन को ब्रह्मांडीय नियमों के साथ सामंजस्य के लिए मार्गदर्शन देता है। यह ऋषियों के खगोलीय अवलोकनों पर आधारित एक प्रणाली है, जिससे दिक्, देश और काल — अर्थात् दिशा, स्थान और समय — की गणना की जाती है, जो दैनिक जीवन में प्रासंगिक हैं। खगोलीय गणना और समय का निर्धारण करना ज्योतिष शास्त्र का विश्व में सबसे बड़ा योगदान माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र का उपयोग खगोल विज्ञान और गणित के अलावा, चिकित्सा, जलवायु अध्ययन और कृषि जैसे अन्य क्षेत्रों में भी होता है। इस शास्त्र के मूल सिद्धांतों को समझना आधुनिक विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में इसके अनुप्रयोगों को विस्तार देने में सहायक है।
Bharatiya Jyotish Vijnan is an introductory course in the principles of Bharatiya Jyotish Shastra, or Indian Astronomical Sciences. Jyotisha holds great importance in the Indian way of life, philosophy, and culture, which is closely tied to the movement of planetary bodies. One of the Vedangas (limbs of the Vedas), Jyotisha guides human life for harmony with cosmic laws. It is a system based on astronomical observations made by Rishis to calculate dik, desha and kaala, or directions, place and time; which are relevant in day-to-day life. Aligning astronomical movements and timekeeping is one of the greatest contributions of Jyotisha shastra to the world. Apart from astronomy and mathematics, Jyotisha has applications in other fields such as medicine, climate studies and agriculture. Understanding the fundamentals of this shastra aids in expanding the applications of this subject in many fields of modern science.
Please Note:
What will you gain from this course? (Key Benefits / Learning Outcomes)
इस पाठ्यक्रम में आपको क्या-क्या मिलेगा?
What are the materials/support you get?
इस पाठ्यक्रम के लिए क्या पात्रता आवश्यक है ?
What are the prerequisites to get the best out of this course?
1-क्रेडिट - 25 घंटे (लगभग)के अध्ययन-प्रयास के बराबर होता है। इसमें सभी प्रकार की शिक्षण गतिविधियाँ शामिल हैं, जैसे कि लाइव सत्रों में भाग लेना, रिकॉर्ड किए गए पाठों को सुनना, और पाठ्यक्रम से संबंधित मूल्यांकन कार्य पूरा करना।
What is the effort required to complete this course?
Effort Breakup
भारतीय ज्योतिष शास्त्र
भाग 1: सिद्धांत स्कन्ध और कालमान
भाग 2: सूर्य संक्रमण एवं ऋतु परिवर्तन
कालमान एवं कालगणना
भाग 3: नवविध कालमान एवं वर्ष व्यवहार
भाग 4: काल गणना एवं संवत्सर चक्र
भाग 5: भारतीय पञ्चाङ्ग एवं पाश्चात्य कैलेंडर
पञ्चाङ्ग एवं ज्योतिष
भाग 6: पञ्चाङ्ग का स्वरूप एवं विविध अंग
भाग 7: तिथि और तारीख: पंचांग उपयोग एवं त्यौहार निर्णय
ग्रह, ग्रहण एवं ग्रहों का प्रभाव – 1&2
भाग 8: पञ्चाङ्ग- दृश्यात्मक सिद्धांत एवं ग्रह विज्ञान
भाग 9: ग्रहण - धार्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वेधशालाएँ एवं यन्त्रविद्या – 1&2
भाग 10: ज्योतिर्विज्ञान - मुहूर्त विज्ञान एवं ज्वार-भाटा
भाग 11: कालचक्र और जीवनोपयोगी प्रायोगिक ज्ञान
वेदाङ्ग ज्योतिष एवं ज्योतिष का शास्त्रीय स्वरूप 1&2
भाग 12: ज्योतिष का वेदांगत्व एवं त्रि-स्कन्ध
भाग 13: महर्षि लगध और वेदांग ज्योतिष
हाँ। इस पाठ्यक्रम में मध्यवर्ती मूल्यांकन होगा, प्रत्येक 30 अंकों का होगा, और अंतिम मूल्यांकन होगा, प्रत्येक 70 अंकों का होगा। जो छात्र दोनों मूल्यांकन पूरे कर लेंगे और कुल मिलाकर 60% या उससे अधिक औसत अंक प्राप्त करेंगे, उन्हें व्योम लैब्स द्वारा एक ई-प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा।
Yes. There will be one Intermediate (Mid-Term) Assessment for 30 marks each and one Final Assessment for 70 marks. Learners who complete both the assessments and score an overall average of 60% or more will be awarded an e-certificate by Vyom Labs.